खेड़ी सांवलीगढ़ /बैतूल / मनोहर अग्रवाल / बैतूल जिले के भैसदेही तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत मच्छी क्षेत्र में चारो ओर ऊंची ऊंची पहाड़िया ओर घने वनो से आच्छादित वन क्षेत्र में ऊटपटा नदी के किनारे बसे आदिवासी बहुल गांव कोचाभुरु के लोग ।आज हम डिजिटल इंडिया की बात करते है इस गांव की तक़दीर ओर तस्वीर देखकर नहीं लगता है । शासन प्रशासन ने छोटी सी इस आदिवासी बसाहट को गांव का नाम दे दिया लेकिन नहीं दी वे मुलभुत बुनियादी सुविधाएं जो प्रत्येक गांव में ग्राम वासियो को मुहैया कराइ जाती है समस्याओ से जूझ रहे कोचाभुरु गांव कइ ग्रामीणों के बीच पहुंचे इस संवाददाता को ग्रामीणों ने एक एक समस्याएं गिनाई ओर बतलाया की भैसदेही विकासखण्ड के कोचाभुरु गांव तक सड़क मार्ग आज पर्यन्त ग्राम पंचायत द्वारा नहीं बनाया गया मजबूरन ग्रामीणों को पथरीले मार्ग से आवागमन करना पड़ा है इस गांव का पहुंच मार्ग सिर्फ ग्राम पंचायत के प्रस्ताव तक सिमित है जो उनके लिए दिव्यस्वप्न बनकर रहा गया है वही बिजली के पोल पुतले बनकर खड़े है गांव में बिजली नहीं है बच्चो की शिक्षा हेतु वर्ष १९९९ में UEGS स्कूल खुला है लेकिन १८ वर्ष बाद भी आला अधिकारियो की लगातार अनदेखी से स्कूल भी दुर्दशा का शिकार है ओर इसका असर सीधा बच्चो पर दिखलाई दिया ४ कक्षा की छात्रा से जब हमने १५ का पहाड़ा पूछा १५ चोक कितना होता है तो छात्रा का जवाब था ४४ । उसी प्रकार देश के प्रधानमंत्री का नाम भी नहीं मालूम स्कूल में शौचालय भी नहीं है वही गांव में किसी भी घर शौचालय नहीं दिखलाई दिया क्या यही स्वच्छता अभियान की असलियत है बरसात के दिनों में नदी से चारो ओर घिरा यह गांव सिर्फ टापू बनकर रह जाता है नती जतन लोग रासन से भी वंचित रह जाते है यही हालत समीप के दुनि गांव की है यह भी नदी पर पुल नहीं है ग्रामवासियो ने इन समस्याओ से राजनेताओ को भी अवगत कराया है लेकिन अब भी यह गांव मुलभुत बुनियादी सुविधाओं से जूझता हुआ विकास की बाट जोह रहा है।
Share on:
WhatsApp