बैतूल। तपुड़ा के बीहड़ों में आज भी कई ऐसी कुरीतिया हैं जो डिजिटल इंडिया में आदिम युग की याद दिलाती हैं। बैतूल जिले का “भोंडाई” ऐसा ही एक आयोजन है। इस आयोजन में रज्झड समुदाय के लोग अपनी मन्नतें पूरी होने पर काँटों की सेज पर लोटकर अपने आराध्य को खुश करते हैं। ये लोग कांटों की सेज पर ऐसे लेटते हैं, मानो कोई नर्म मुलायम गद्दा हो। इस आयोजन को देखने वालों की भी रूह कांप जाती है। भोंडाई की शुरुआत होती है कांटो की सेज तैयार करने से। रज्झड समुदाय के लोग बेर, बबूल जैसे कंटीले पेड़ों की टहनियों से कांटों की एक सेज बनाते हैं जिसके आसपास पहले तो पारंपरिक नृत्य होता है और इसके बाद नुकीले ज़हरीले कांटों पर लोग कई घंटों तक लोटते हैं।इनका विश्वास है कि ऐसा करने से देवता प्रसन्न होते हैं।
↧